लोकतंत्र लोभतंत्र में तब्दील हो गया है- ध्रुव देव मिश्र ‘पाषाण’
कोलकाता 5 दिसंबर पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज ने हिंदी पत्रकारिता में इतिहास रचने वाले “रविवार” के संपादक और दूरदर्शन के पहले लोकप्रिय समाचार कार्यक्रम “आजतक” के प्रस्तोता स्वर्गीय सुरेन्द्र प्रताप सिंह की 62 वीं जयंती पर “ सुरेन्द्र प्रताप सिंह और आज की पत्रकारिता” विषयक संगोष्ठी राजस्थान सूचना केन्द्र के सेमीनार हाल में कल आयोजित की पश्चिम बंग हिंदीभाषी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष राज मिठौलिया ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की इस अवसर पर P-7 समाचार चेंनल के ब्यूरो प्रमुख , सुरेन्द्र प्रताप सिंह के भाई सत्येन्द्र प्रताप सिंह विशिष्ट अतिथि थे कार्यक्रम के प्रारंभ में पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष राज मिठौलिया, वरिष्ठ कवि ध्रुवदेव मिश्र ‘पाषाण’, पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज के महासचिव डॉ.अशोक सिंह, समाज के मीडिया प्रभारी और कार्यक्रम संयोजक केशव भट्टड़, वरिष्ठ पत्रकार बिशंभर नेवर, वरिष्ठ पत्रकार सत्येन्द्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार राजेश त्रिपाठी, प्रो. गीता दूबे,राजस्थानी प्रचारिणी सभा के रतन शाह, गायिका पूनम मिश्रा, एशियन गेम्स में वुशु प्रतियोगिता के भारतीय-निर्णायक शम्भू सेठ, माहेश्वरी सभा से गोपाल भैया, अकृत से ब्रिजमोहन लाल दमानी और सुशिल राठी , ‘द वेक’ की संपादिका शुकुन त्रिवेदी, पत्रकार दिलीप भाटी ,शिखा, लखन भारती, शंकर सेठ, दीपक जोशी, अजित कुमार सिंह,लक्ष्मण केडिया, माहेश्वरी पुस्तकालय के सचिव अशोक सोनी, राजेश पचीसिया और मनमोहन बागड़ी, कथाकार विजय शर्मा, लेखक सुरेन्द्र गुप्ता (बुल्ली), पश्चिम बंग राज्य विश्वविद्यालय , बारासात की प्रेमचंद परिषद की संयुक्त संयोजिका श्रेया जायसवाल, पत्रकार संजय बिनानी, श्री प्रकाश जायसवाल, आशुतोष केसर तथा उपस्थित जन समुदाय ने पुष्पांजलि देकर महान पत्रकार सुरेन्द्र प्रताप सिंह का स्मरण किया
वरिष्ठ कवि ध्रुवदेव मिश्र ‘पाषाण’ ने कहा कि एस.पी को याद करना मानो अँधेरे में ध्रुवतारे को देखना है कई बार एस.पी. ने मुझसे लिखवाया और छापा भी पहले खबरदार करने वाली खबरे छपती थी, इसलिए विज्ञापन लिए जाते थे आज विज्ञापन खबरों को खा जा रहें है भाषा की विद्रूपता आज की पत्रकारिता का बड़ा संकट है आजकल परिवर्तन की चर्चा है यदि पत्रकारिता में यह परिवर्तन आपको उत्थानमूलक लगता है तो मुबारक हो प्रमाणिकता और संवेदनशीलता कसौटियां थी जिस पर खबर देने से पहले एस.पी. ध्यान देते थे संवेदना का यह आधिक्य ही उनकी मृत्यु का कारण बना लोगों को जोड़ने की कला एस.पी. में थी वे लिखवाना जानते थे एस.पी आज जिंदा होते तो लोहिया के नाम पर उनके अनुयाई जो कुछ कर रहें हैं, वो नहीं देख पाते आज लोकतंत्र लोभतंत्र में तब्दील हो गया है कुलीनतंत्र न रहकर यह कुलतंत्र हो गया है आज पत्रकारिता नये नैतिक साहस की मांग करती है एक खास विचार धारा के प्रति शुरू से मेरा प्रेम रहा है लेकिन सोचने की बात है कि राजनीतिक पार्टियां गिरोहबंदी का शिकार हो गई है गांधी, भगतसिंह और मार्क्स को लेकर ही सही राह निकलेगी प्रधानमंत्री लोकसभा के सदस्य नहीं है , इससे संसद हास्यास्पद हो गई है हम कैसे लोकतंत्र में हैं ? ऐसे में एस.पी. को याद करना अपनी उर्जा को बढ़ाना है भारतीय जीवन से आदर्श गायब होते जा रहें हैं सारा समाज कृतघ्न होता जा रहा है ऐसे में एस.पी. को स्मरण करना ज्यादा जरुरी है ध्रुवतारे से ही प्रमाणिकता और संवेदनशीलता की दिशा मिलेगी सत्येन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि एस.पी. कहीं भी परिवारवाद को संरक्षण नहीं देते थे पहले पत्रकारिता में लोग मिशन के लिए आते थे, आज पत्रकारिता प्रोफेसन और सम्बन्ध बनाने का जरिया बन गई है ‘आजतक’ ने एस.पी. को अंतिम दिनों में नहीं दिखाया , पूछने पर कारण बताया गया कि उनके जीवन के अंतिम संघर्ष की खबर से प्रायोजक चेंनल से मुंह मोड़ लेंगे आज मीडिया में ग्लेमर है, इसलिए भीड़ भी हैवरिष्ठ पत्रकार और ‘रविवार’ में एस.पी. के साथी राजेश त्रिपाठी ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि एस.पी ने पत्रकारिता के चौथे स्तंभ को साकार किया उनकी ऊँचाई का पत्रकार आज की पत्रकारिता में नहीं है रतन शाह ने कार्यक्रम आयोजन के लिए पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज को धन्यवाद देते हुए कहा कि सत्ता में नहीं रहने वालों की जयंती भी मनाई जा सकती है एस.पी ने हिंदी पत्रकारिता को नयी बुलंदियों तक पहुँचाया बिशंभर नेवर ने कहा कि पत्रकार की जयंती कहीं मनाई जाती है, मुझे याद नहीं है एस. पी. से प्रेरणा लेकर एक पूरी पीढ़ी पत्रकारिता में आई एस. पी. ने पत्रकारिता में एक नयी धारा का सूत्रपात किया समाचार कैसे पढ़ा जाये , यह एस.पी. ने बताया सिर्फ धन से अखबार नहीं चल सकते कथाकार विजय शर्मा ने कहा कि वर्ग-वर्ण और धर्मनिरपेक्षता के घाल-मेल में इमानदारी प्राथमिकता नहीं रही कमिटमेंट को एस.पी. की छत्रछाया में फिर से परिभाषित करने की जरुरत है समाज के कार्यकारी अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार राज मिठौलिया ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि एस.पी. ने अंग्रेजी में भी पत्रकारिता की आज का दौर चुनौती पूर्ण है एस. पी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि “कुछ लोग थे जो सांचे में ढल गये,कुछ लोग थे जो सांचा बदल गये” एस. पी की पत्रकारिता मिशन थी समाज की केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य गीता दूबे ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि एस.पी. ने हिंदी पत्रकारिता को गर्व करने लायक बनाया संचालन समाज के मीडिया प्रभारी केशव भट्टड़ ने किया
केशव भट्टड़
पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज
मीडिया प्रभारी
09330919201