Sunday, May 23, 2010

“ आज की परिस्थितिओं में भगतसिंह की सार्थकता ”

भगतसिंह विचार मंच ने भगतसिंह ,सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस पर 23 मार्च को मंच कार्यालय में “ आज की परिस्थितिओं में भगतसिंह की सार्थकता” विषयक परिचर्चा का आयोजन किया, जिसके माध्यम से भगतसिंह को आज की परिस्थितिओं में समझने का प्रयास किया गया कार्यक्रम में डॉ अशोक सिंह, केशव भट्टर, प.बं. राज्य विश्वविद्यालय (बारासात) की प्रेमचंद परिषद की संयुक्त संयोजक श्रेया जायसवाल, भगतसिंह विचार मंच की संयुक्त संयोजक शिक्षिका नीतु सिंह, सुरेन्द्रनाथ सांध्य कॉलेज के छात्र दिनेश कुमार शर्मा , श्री जैन विद्यालय के छात्र अंकित तिवारी, शिवम दुबे, पियूष कुमार गुप्ता, आकाश डागा, अनुपम दीक्षित और आतिश कुमार गुप्ता ने परिचर्चा में अपने विचार व्यक्त किये और अमर शहीदों को श्रधांजली दी
डॉ अशोक सिंह ने कहा कि आज इतने संचार माध्यम होने के बावजूद व्यापक स्तर पर भगत सिंह के विचारों से लोग अनभिज्ञ हैं 1985 से पहले भगत सिंह पर अच्छी पुस्तकें नहीं थी प्रो. जगमोहन सिंह और प्रो. चमनलाल के प्रयासों से भगत सिंह पर अच्छा लेखन हुवा बंगाल से भगत सिंह का काफी अच्छा परिचय रहा- दुर्गापुर , बरसात , हावड़ा में उनकी मूर्तियां हैं - लेकिन अनुवाद के अभाव में यहाँ उन्हें ज्यादा लोग नहीं जान पाते इसका एक कारण केंद्रीय सरकारों की भगतसिंह के प्रति अवहेलना है भगतसिंह पर फ़िल्में बनी तो लगा कुछ काम शुरू हुआ है लेकिन भगतसिंह को पाठ्यक्रम में लाना जरूरी है ताकि युवा वर्ग उन्हें जान सके इसके लिए भगत सिंह विचार मंच को लगातार प्रयास करना होगा लगातार उन पर गोष्ठियों का आयोजन करना होगा इसमें मीडिया का सहयोग भी जरुरी है भगतसिंह ने कोर्ट-ट्रायल के समय मीडिया के माध्यम से ही लोगों तक अपनी बातें पहुंचाई “बम कैसे बनाया जाता है ?”- कोर्ट-ट्रायल के समय उन्होंने मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया हमें भगतसिंह के विचारों को नयी पीढ़ी तक पहुंचाना होगा भगतसिंह किसी राजनितिक दल के लिए नहीं ,देश के लिए सामने आये नारे लगाने से कुछ नहीं होगा भगतसिंह मरे नहीं, वह आज भी जिंदा है, वह चिंगारी आज भी जल रही है युवाओं को समझना होगा होगा कि वे कैसी आज़ादी चाहते थे , और कैसी आज़ादी हमें मिली ?
मीडिया प्रभारी केशव भट्टर ने कहा कि शुरू में भगतसिंह एक क्रन्तिकारी हैं यही जानता था परन्तु डॉ. अशोक सिंह से मिली चमनलाल की पुस्तक “भगतसिंह के संपूर्ण दस्तावेज़” और प्रो. जगमोहन सिंह से वार्ता के बाद मैंने उन्हें क्रांतिकारी विचारक और सजग भविष्यदृष्टा के रूप में जाना भाषा, शिक्षा, समाज, राजनीति और धर्म के अलावा तत्कालीन अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर उनका लेखन बेहद गंभीर और प्रभावशाली है उनकी जेल डायरी में लिखी यह पंक्ति – “दूसरे महान हैं, क्योंकि हम घुटनों पर खड़े हैं, आओ तनकर खड़े हों ” – बेहद उत्प्रेरक है धर्म , जाती, लिंग, में समाज को बाँटने वाले तत्त्व सक्रिय हैं, जो समाज को एक नहीं होने देंगे भगतसिंह इनका विरोध करते थे एसेम्बली में बम फोड़कर उन्होंने बहरे कानों तक यानि तत्कालीन साम्राज्यवादी ताकतों और उनके सामाजिक संपर्कों तक अपनी बात पहुंचाई जिस उम्र में आज के युवा और बच्चे खेल, सिनेमा में रूचि रखते हैं, भगतसिंह ने देश, समाज, भाषा के बारें में सोचा और लिखा कुल 11 वर्षों का उनका इतिहास है जेल में उनका वजन बढ़ जाना उनकी निर्भीकता कि मिसाल है “ हिम्मत मत हारना ” – अपने भाई को उन्होंने अंतिम पत्र में लिखा – उनका यह सन्देश आज हम सबके लिए है सच्चे और खरे लोग कभी नहीं मरते , उनकी यादें उनके विचारों के माध्यम से जीवित रहती है भगतसिंह पर एनीमेशन फ़िल्में बनानी चाहिए
भगतसिंह विचार मंच की संयुक्त संयोजक शिक्षिका नीतु सिंह ने कहा कि आज के बच्चों और युवाओं की प्राथमिकताएं बदल गयी हैं भगत सिंह को बच्चों और युवाओं तक पहुँचाने के लिए समयानुसार तरीके अपनाये जाने चाहिये एनिमेंशन फिल्म का उन्होंने समर्थन किया उन्होंने कहा कि देश के युवक सो रहें हैं घर, क्रिकेट, करियर के अलावा उनके पास सोचने को कुछ नहीं है कुछ समय के लिए भाषण देना अलग बात है और कार्य करना अलग बात है भगतसिंह के विचारों पर समग्र रूप से कार्य करना होगा
प.बं. राज्य विश्वविद्यालय (बारासात) की प्रेमचंद परिषद की संयुक्त संयोजक श्रेया जायसवाल ने कहा कि आज कि दुनिया बाजारवाद तक सिमित हो गयी है भगतसिंह ने सोचा कि हम गुलाम क्यों हैं ? हम सब देशवासी एक हैं, सभी को आज़ादी मिलनी चाहिये उनके विचारों को छुपाया गया लेकिन आज सब सामने आ रहा है भगतसिंह के विचारों को महसूस करना होगा उनका जज्बा अपने भीतर लाना चाहिए
छात्र दिनेश शर्मा ने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्यवाद के लिए जीवित भगतसिंह से ज्यादा खतरनाक मरा हुआ भगतसिंह होगा- उनकी यह बात सही साबित हुई छात्र अंकित तिवारी ने कहा कि भगतसिंह से प्रेरणा ले तो देश काफी तरक्की करेगा छात्र शिवम दुबे ने कहा कि भगतसिंह ने ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया छात्र अनुपम दीक्षित ने कहा कि उनके कार्य आज भी बाकि हैं, हमें उनके विचारों को फैलाना होगा छात्र पियूष कुमार गुप्ता ने कहा कि उनसे पूरा देश प्रभावित रहा है छात्र अनुपम दीक्षित और आकाश डागा ने कहा कि स्कूल में भगतसिंह पर कभी चर्चा नहीं हुई, इसलिए मुझे उनके बारें में जानकारी नहीं है
इस अवसर पर भगतसिंह विचार मंच द्वारा गत दिनों आयोजित “आज की परिस्थितिओं में भगतसिंह की सार्थकता” विषयक निबन्ध प्रतियोगिता में भाग लेने वालें विद्यार्थियों को प्रो. जगमोहन सिंह द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र दिए गए प्रो. अनय निर्णायक थे प्रतियोगिता में महानगर के सुरेन्द्रनाथ सांध्य कॉलेज, सावित्री पाठशाला, आदर्श बालिका विद्यालय और श्री जैन विद्यालय के विद्यार्थियों ने भाग लिया कालेज वर्ग में सुरेन्द्रनाथ सांध्य कॉलेज के दिनेश शर्मा ने पहला स्थान और इसी कॉलेज की वीणा साव ने दूसरा स्थान प्राप्त किया स्कूल वर्ग में श्री जैन विद्यालय के अंकित तिवारी ,विवेक राय और शिवम दुबे ने क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया कार्यक्रम का संचालन भगतसिंह विचार मंच की संयुक्त संयोजक दिव्या प्रसाद ने किया अपने संयोजकीय व्यक्तव्य का समापन करते हुए दिव्या प्रसाद ने अमर शहीदों को श्रधांजलि शिव मंगल सिंह ‘सुमन’ की निम्न पंक्तियों से दी – “ तुम जीवित थे तो सुनने को जी करता था , तुम चले गए तो गुनने को जी करता है तुम सिमटे थे तो बिखरी बिखरी सांसे थी, तुम बिखर गए तो चुनने को जी करता है ”

केशव भट्टर

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