Monday, March 7, 2011

रेल बजट पेश - लक्ष्य राइटर्स
जगमग पश्चिम बंगाल, बाकी सब कंगाल


कोलकाता 27 फरवरी रेल मंत्री ममता बनर्जी ने 2011-12 का रेल बजट पेश कर दिया है जाहिर है कि उनके गृहराज्य पश्चिम बंगाल में इस साल होने वाले विधान सभा चुनाव में बढ़त लेने के लिए उन्होंने बजट का हथियार के रूप में प्रयोग किया है इसे लोकलुभावन बजट कहें या जनप्रिय बजट , उद्धेश्य पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनाव को अपने पक्ष में प्रभावित करना है चुनावी वर्ष में भाड़े को नहीं बढ़ाना , पिछले वादों की हकीकत से बेफिक्र घोषणाओं का नया विस्फोट, नयी वैगन-कोच फैक्टरियों का निर्माण, लाइन छमता बढाने का वादा और इन वादों, घोषणाओं को पूरा करने के लिए धन का अभाव और अन्य स्त्रोतों (निजी भागीदारी पर दारोमदार) को लेकर संशय स्पष्ट है कि लक्ष्य पश्चिम बंगाल का विधान सभा चुनाव ही हैं इस बजट के बाद भी रेलवे में जो जैसा था , वैसा ही रहने वाला है कोई बदलाव नहीं होगा ममता ने साबित किया कि उनकी रेल यूँ ही चलेगी पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र उन्होंने योजनाओं का ऐसा पिटारा खोला जिनके पूरा होने में संदेह ही संदेह है ‘घोषणाओं से क्या नाम न होगा’ कि तर्ज़ पर ममता ने पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्यालय राइटर्स बिल्डिंग जाने की जल्दी में 16 हज़ार पूर्व सैनिकों समेत दो लाख नए कर्मचारियों की भरती का एलान कर डाला है यह सोचे बगैर कि इससे रेलवे फिर उसी अंधी सुरंग में जा सकती है जिसका मुंह राकेश मोहन कमिटी ने बंद किया था उन्होंने रेलवे संरक्षा को लेकर पहली बार कुछ गंभीरता दिखाई मगर यह गंभीरता आठ जोनो में एंटी-कोलिज़न डिवाइस तथा सभी मानव रहित क्रोसिंगो पर चोकीदार तैनात करने तक ही सिमित है वर्ल्ड क्लास स्टेशनों और हाई स्पीड ट्रेनों के सुनहरे सपने में खोये यात्रियों को उन्होंने नए आदर्श स्टेशनों और गो इंडिया स्मार्ट कार्ड का लॉलीपॉप थमा दिया है ममता की लोकलुभावन कोशिशों का एकमात्र सकारात्मक पहलु यह है कि इनसे एक न एक दिन रेलवे की लाइन क्षमता का विस्तार होगा और रोलिंग स्टॉक की कमी दूर होगी इसके लिए रेल बजट में कई नयी वैगन कोच फैक्टरियों का एलान किया गया है रेल बजट में पश्चिम बंगाल के अलावा पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत को खास तरजीह दी गयी है, इन सभी क्षेत्रों में विधान सभा चुनाव होने हैं जम्मू कश्मीर में ब्रिज फैक्टरी और इंजीनियरिंग केंद्र की स्थापना वहाँ के हालात पर केंद्र की संजीदगी को दर्शाने के लिए है ममता को केंद्र से 15 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजटीय समर्थन इसी सब के लिए मिला है रेलवे बजट में इस बार भी कुलियों की अनदेखी की गयी


पश्चिम बंगाल पर उमड़ी ममता की ममता

-एक्सप्रेस और पेसेंजर ट्रेन मिलकर 34 नयी ट्रेन
-हावड़ा और सियालदह शाखा में 50 नयी लोकल ट्रेन
-एक टिकट में ही लोकल,मेट्रो और चक्र रेल की यात्रा के लिए स्मार्ट कार्ड
-कोलकाता रेल विकास कार्पोरेशन के गठन की घोषणा
-सुंदरवन क्षेत्र के बासंती, झाङखाली और सागर तक नए रेल पथ का विस्तार
-डायमंड हार्बर कल्याणी, श्रीरामपुर तक मेट्रो के विस्तार के लिए समीक्षा
-सिंगुर में मेट्रो कोच कारखाना
-नंदीग्राम और जलिंघ्या में ओद्योगिक पार्क और नया रेल पथ
-लालगढ़ में नयी ट्रेन
-उलबेङिया में ट्रेक मशीन कारखाना
-खङगपुर में प्रशिक्षण केंद्र
-मछ्लन्दपुर में पोलिटेक्निक कालेज
-दार्जिलिंग में सोफ्टवेयर प्रकल्प
-कर्सियांग में आधारभूत प्रशिक्षण केंद्र
-कोलकाता मेट्रो रेल को अलग जोन का दर्ज़ा (17 वीं जोन)
बंगाल को जो नहीं मिला -
-डबल डेकर ट्रेन पश्चिम बंगाल से दूर रही
-तीन नयी शताब्दी ट्रेनों की घोषणा – पश्चिम बंगाल को एक भी नहीं
बंगाल के राजस्थानी प्रवासिओं को उपहार
-राजस्थान और बंगाल के बीच हावड़ा – जैसलमेर एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
-कोलकाता- अजमेर एक्सप्रेस (आसनसोल होकर-साप्ताहिक) शुरू करने की घोषणा
पिछली बजटीय घोषणाएँ – एक नज़र
-2010 के बजट में एक वर्ष में 1000 किलो मीटर नयी रेल लाइन विस्तार का लक्ष्य – समिक्षनुसार हासिल 206 किलो मीटर
-2009 के बजट में डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर (हीरक कोरिडोर) बनाने का प्रस्ताव – समीक्षा बताती है की इस मामले में रेल प्रसाशन बुरी तरह पिछड़ा
-2009 के रेल बजट में घोषणा की गयी कि 50 स्टेशनों को वैश्विक मानदंडो के अनुसार तैयार करना – इसमें पश्चिम बंगाल के हावड़ा, सियालदह, कोलकाता, न्यू जलपाईगुडी और माझेरहाट का नाम शामिल था 2010 के रेल बजट में घोषणा की गयी कि इस प्रकल्प में 10 स्टेशन और जोड़े गए – पश्चिम बंगाल के बोलपुर और खडगपुर के नाम प्रकल्प में जोड़े गए 2011 में आर्थिक हालात के चलते प्रकल्प ख़ारिज

पिछले बजटों की घोषणाओं का हश्र संशय बढाता है, नया बजट फिर से आशाएं जगाता है

No comments:

Post a Comment