Sunday, October 10, 2010

कोलकाता के संग्रहालय
केशव भट्टड़

संस्कृतियों का जन्म और विकास का क्रम समझने के लिए संग्रहालयों का परिभ्रमण एक कारगार जरिया है भूत की कोख से जन्म लेकर वर्तमान अपनी परिस्थितियों से भविष्य का निर्माण करता है और समय गति के साथ भविष्य पुनः भूतकाल में बदल जाता है इस समय-यात्रा के मानचित्र तथ्य और नमूनों के रूप में संग्रहालयों में सुरक्षित रखें जाते हैं कालांतर में यही मान-चित्र सूचि बद्ध होकर, व्यवस्थित होकर क्रमशः इतिहास बनाते हैं संस्कृति हमेशा समय साक्षेप होती है संग्रहालयों और उनके पुस्तकालयों के जरिये अन्यान्य तथ्यों के साथ स्थानीय, प्रादेशिक, देशिक तथा वैश्विक ‘कला और संस्कृति’ के आधारभूत अवयवों की जानकारी भी मिलती है


सेंट्रल म्यूजियम
विशेष रूप से यह एक मानव जाति सम्बन्धी संग्रहालय है जिसमें भारतीय आदिवासियों और अन्य जाति समूहों के व्यवहार में आने वाली वस्तुओं के नमूने संगृहीत हैं विभिन्न विषयों और विभिन्न समानों के कारण प्रदर्शित वस्तुओं का संग्रह महत्वपूर्ण है
पता है- सेंट्रल म्यूजियम, अन्थ्रोपोलोजीकल सर्वे ऑफ इंडिया, 2 रिपन स्ट्रीट, कोलकाता

आशुतोष म्यूजियम ऑफ इंडियन आर्ट्स
यहाँ पाल और सेन युग कालीन हिंदू और बौद्ध पद्धति के असिताश्म मूर्तिकला का विराट संग्रह है सख्त चिकनी मिट्टी से बने विष्णुपुर क्षेत्र के मंदिरों के फलक और चौखटें यहाँ प्रदर्शित है बंगाल की शैली में चित्रित परदे, ताश, भोजपत्र पर अंकित पांडुलिपियाँ , रीति रिवाज से सम्बंधित सामान, गुडियां एवं अन्य खिलौनों का भी यहाँ दिलचस्प संग्रह हैं कपड़ों से सम्बंधित संग्रह में तत्कालीन कसीदाकारी के कपडे, साधारण कपडे, रजाइयां, और बलूचर की अनोखी सुन्दर साडियां प्रदर्शित है पता है- आशुतोष म्यूजियम ऑफ इंडियन आर्ट्स, शतवार्षिकी भवन, कलकत्ता -विश्वविद्यालय,कोलकाता

एग्री-होर्टीकल्चरल सोसाइटी ऑफ इंडिया
1820 में स्थापित एग्री-होर्टीकल्चरल सोसाइटी ऑफ इंडिया में छोटे पेड़ों को हरा रखने का घर, फूलों का बगीचा, अनुसंधानशाला और पुस्तकालय है यहाँ बागवानी (उद्यान विज्ञान) की शिक्षा की व्यवस्था है यहाँ हर वर्ष एक पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन होता है पता है- 1 अलीपुर रोड, कोलकाता भ्रमण का समय सुबह 7 से 11 और दोपहर बाद 3 से 5 बजे तक है

बंगीय साहित्य परिषद चित्रशाला
1910 में स्थापित बंगीय साहित्य परिषद चित्रशाला में मध्यकालीन प्रस्तर और धातु की मूर्तियां, पांडुलिपियाँ, प्रसिद्ध बंगाली साहित्यकारों के पत्र, कला और पुरातत्व कारीगरी के नमूने प्रदर्शित है जो बंगाल के इतिहास और संस्कृति पर प्रकाश डालते हैं पता है- 243/1 आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रोड, कोलकाता भ्रमण का समय, गुरुवार और मान्य छुट्टियों को छोडकर, दिन के 1 से सायं 7 बजे तक है

विक्टोरिया मेमोरियल म्यूजियम
चित्ताकर्षक विक्टोरिया मेमोरियल में मुख्यतया ब्रिटिश औपनिवेशिक कालीन चित्रों का संग्रह है 1921 में खुले इस म्युजियम में आंगुतकों का स्वागत सर थामस ब्रोक्क द्वारा बनायी गई विक्टोरिया की आदम-कद प्रतिमा से होता है महारानी विक्टोरिया के घटना प्रधान लंबे जीवन और शाषन से संबंधित महत्वपूर्ण तैलीय चित्रों की प्रदर्शनी रायल गैलेरी में है 1876 में किंग एडवर्ड (सातवें) के जयपुर प्रवेश पर आधारित एक विशाल पेंटिंग भी यहाँ है क्लाईव और अन्य गवर्नरों के चित्र, सम्बंधित पुस्तकें और ढेरों हस्त-चित्र यहाँ प्रदर्शित हैं पता है- विक्टोरिया मेमोरियल म्यूजियम, क्वीन्स वे, कोलकाता

गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल एंड कोमर्सियल म्यूजियम
गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल एंड कोमर्सियल म्यूजियम की स्थापना 1939 में हुई आठ खंडों में फैले इस संग्रहालय में हथकरघे, लघु और कुटीर उद्योग से निर्मित सामान, टेक्सटाइल्स, गुडिया और खिलौने, व्यावसायिक उत्पाद, सांख्यकी-रेखांकन, सांचे आदि प्रदर्शित हैं यहाँ एक पुस्ताकालय और वाचनालय स्थित है यहाँ की प्रमुख गतिविधियों में प्रदर्शनियों और निर्देशन-व्याखानमालाओं के आयोजन तथा विशेष परिचर्चाओं का आयोजन शामिल है पता है- 45 गणेश चंद्र एवेन्यू, कोलकाता भ्रमण का समय शनिवार को दिन के 10 से 1 बजे तक तथा मान्य छुट्टियों को छोड़कर सप्ताह के सभी दिन 10:30 से शाम के 5:30 बजे तक है

क्राफ्ट्स म्युजियम
शिल्प कला संग्रहालय की स्थापना 1950 में हुई इसे पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट इन इंडस्ट्री कहा जाता था यहाँ भारत के विभिन्न प्रदेशों पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आसाम, त्रिपुरा,महाराष्ट्र, यु.पी. , हरियाणा , गुजरात और तमिलनाडु के ग्रामीण अंचलों के हाथीदांत, धातु और कपड़े के बाने सामानों के नमूनें प्रदर्शित हैं यहाँ एक उन्नत पुस्तकालय भी है छायाचित्रों का विशाल संग्रह यहाँ सुरक्षित है पता है- 9-12 , ओल्ड कोर्ट हाउस स्ट्रीट , कोलकाता मान्य छुट्टियों को छोड़कर सप्ताह के सभी दिन सुबह 10 बजे से लेकर सायं 5 बजे तक यह खुला रहता है

एथनोग्राफीक म्यूजियम
समुदाय-विज्ञान पर आधारित सामुदायिक संग्रहालय की स्थापना 1955 में कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्युट, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा की गई शिकार और मछली पकड़ने के औज़ार, कपड़े, आभूषण, बर्तन, लकड़ी के सजावटी सामान, बुनाई-कढ़ाई के औज़ारों के साथ धर्म और संप्रदाय पर सामग्री प्रदर्शित है जादूगरी दिखाने के काम आने वाले सामानों का अच्छा संग्रह है राज्य के आदिवासियों के जीवन से साम्बान्धित छायाचित्र और उनके लोक-संगीत के टेप रिकॉर्ड यहाँ सुरक्षित हैं पता है- कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्युट, ट्राईबल वेलफेयर डेवलपमेंट,पश्चिम बंगाल सरकार , न्यू सेक्रेट्रीयट बिल्डिंग , 1 किरण शंकर रॉय रोड, कोलकाता समय दिन के 10:30 से 5 बजे तक सभी कार्य दिवस

बिरला इंडस्ट्रीयल एंड टेक्नोलोजिकल म्युजियम
विज्ञानिक और उद्योगिक शोध परिषद ( काउन्सिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) द्वरा निर्मित, बुनियादी विज्ञान और तकनीक के संग्रहालय बिरला इंडस्ट्रीयल एंड टेक्नोलोजिकल म्युजियम की स्थापना 1956 में हुई यहाँ म्यूजियम में स्वयं अभिकल्पित, रूपांकित और स्वनिर्मित लोहा एवं लोह-अयस्क के सामान, विद्युतीय विज्ञान, नाभिकीय विज्ञान ,प्रकाश विज्ञान ,प्रेरक बल विज्ञान , संचार विज्ञान और खनन विज्ञान के ढेर सारे सामान विभिन्न दीर्घाओं में प्रदर्शित हैं प्रकाश विज्ञान दीर्घा सबसे ज्यादा दर्शकों को आकर्षित करती है यहाँ की मुख्य गतिविधियों में विषयगत फिल्मों का प्रदर्शन, विशेषज्ञों के भाषण-संबोधन, शौकिया वैज्ञानिक गतिविधियां, टेलीस्कोप से नभ-दर्शन के सम-सामयिक कार्यक्रम हैं ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञानी चेतना के लिए गाड़ियां भेजी जाती हैं मालदा और पुरुलिया के क्षेत्रीय विज्ञान म्यूजियम इसके अंतर्गत कार्यरत हैं पता है-19 ए, गुरुसदय रोड, कोलकाता यह मंगलवार और रविवार को दर्शकों के लिए खुला रहता है भ्रमण का समय दिन के 10 बजे से लेकर शाम के 5:30 बजे तक है

रबिन्द्र भारती म्यूजियम
रबिन्द्र भारती विश्वविद्यालय से सम्बंधित रबिन्द्र भारती म्यूजियम की स्थापना गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर के पैतृक निवास में सन 1961 ई. में हुई 19 वीं सदी के बंगाल के पुनर्जागरण काल में टैगोर परिवार के योगदान , रबिन्द्रनाथ और उनका रचना संसार , पेंटिंग्स की मूलप्रतियाँ, किताबों का भण्डार, पांडुलिपियाँ , छायाचित्र और 19 सदी के अन्यान्य महापुरुषों जैसे इस्वरचंद्र विद्यासागर, द्वारकानाथ टैगोर आदि से सम्बंधित सामग्री प्रचुर मात्र में प्रदर्शित है विशेष अवसरों पर सायं 7 से 8 बजे तक खुलने वाला यह म्यूजियम रविवार और छुट्टियों के दिन 11 से 2 बजे तक तथा साधारण कार्य दिवसों को दिन के 10 से सायं 7 बजे तक खुला रहता है पता है – 6/4 द्वारकानाथ टैगोर लेन, जोड़ासाकों, कोलकाता

नेताजी म्यूजियम
नेताजी बोस से सम्बंधित पुस्तकें, चित्र और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े पत्र और अन्य दस्तावेज़ नेताजी बोस के पैतृक निवास 38/2 लाला लाजपत रॉय सरणी,कोलकाता में स्थित नेताजी म्यूजियम (1961) में प्रदर्शित हैं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई दुर्लभ चित्र यहाँ प्रदर्शित हैकार्य दिवसों को दोपहर बाद 4 बजे से सायं 8 बजे तक तथा रविवार को सुबह 9 से 12 बजे तक यह खुला रहता है इसे नेताजी रिसर्च ब्यूरो भी कहते हैं नेताजी पर पुस्तकों का प्रकाशन और उनसे जुड़े तथ्यों का संकलन करना इसका प्रमुख कार्य है

बिरला अकादमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर म्यूजियम
1966 में स्थापित बिरला अकादमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर म्यूजियम में मध्ययुगीन और आधुनिक पेंटिंग्स के साथ साथ कुछ पुरातात्विक महत्व के नमूनों का संग्रह है यहाँ आधुनिक भारतीय मूर्तिकला और चित्रकला की प्रदर्शनियां आयोजित होती रहती है पता है- 108-109 सदर्न एवेन्यू, कोलकाता भ्रमण का समय, मंगलवार और मान्य छुट्टियों को छोडकर, दिन के 4 से सायं 8 बजे तक और रविवार को दिन के 1 से सायं 8 बजे तक है

इंडस्ट्रियल सेफ्टी , हेल्थ एंड वेलफेयर म्यूजियम
भारत सरकार के श्रम और रोज़गार विभाग के अंतर्गत संचालित इस संग्रहालय में ओद्योगिक सुरक्षा के यन्त्र, स्वस्थ्य संबंधी खतरें और उनके उपचार, ओद्योगिक दुर्घटना निवारण के उपाय आदि संकलित हैं श्रमिकों के लिए सुरखा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन यह संग्रहालय करता है पता है- पातिपुकुर,लेक टाउन, कोलकाता संग्राहलय रविवार और प्रत्येक दूसरे शनिवार को छोड़कर दिन के 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता है

इंस्टीट्युट ऑफ पोर्ट मैनेजमेंट म्यूजियम
कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट और हुगली नदी से सम्बंधित विशिष्ट जानकारी का यहाँ संग्रह है खींचने वाले यन्त्र , बाँध ,घाट, गोदी, लंगर के साथ आधुनिक जहाज गेरेज सुविधाओं से समबन्धित जानकारी और नमूनों का प्रदर्शन यहाँ किया गया है पता है- इंस्टीट्युट ऑफ पोर्ट मैनेजमेंट, 40 सर्कुलर रीच रोड, कोलकाता

नेहरु चिल्ड्रेन’स म्यूजियम
1972 में स्थापित इस म्युजियम में खिलौने और पुतलियों के माध्यम से रामायण और महाभारत के कथानक का दृश्यात्मक वर्णन है देश-विदेश की पौशाकें पहने वहीँ के निवासियों की आकृति के खिलौनों का विशाल संग्रह है प्रारंभिक विज्ञान के सिद्धांतों पर एक गेलरी भी यहाँ है रेल क्रोसिंग और यातायात के अन्य साधनों के छोटे प्रतिरूप भी यहाँ प्रदर्शित है

जूट पाट और इससे सम्बंधित तकनीक के लिए जूट म्यूजियम (1936), जनहित और स्वस्थ्य सम्बन्धी जानकारी के लिए म्यूनिसिपल म्यूजियम (1932) भी कोलकाता में हैं

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