नंदन के 25 वर्ष
केशव भट्टड़
केशव भट्टड़
‘नंदन’ देश की सांस्कृतिक राजधानी कोलकाता का ‘कला और संस्कृति’ का केन्द्र है रबिन्द्र सदन, शिशिर मंच, जीवनानंद सभागार, कोलकाता सूचना केन्द्र तथा पास ही अकैडमी ऑफ फाईन आर्ट्स आदि संस्कृति के ढेर सारे केन्द्र स्थित होने के कारण यह स्थान और यहाँ का परिवेश सही अर्थों में कला और संस्कृति के मानदंडो पर खरा उतरता है कुल मिलकर यह स्थान चतुर्दिक एक ऐसे परिवेश का निर्माण करता है जहाँ श्रेष्ठतम सृजन की आकांक्षा जन्म लेती है, पूरी भी होती है इस पूरे स्थान को बोलचाल की भाषा में नंदन केम्पस के नाम से जाना जाता है
1/1 एजेसी बोस रोड कोलकाता स्थित नंदन फिल्म केन्द्र सिनेमा के विभिन्न विभागों के बारे में जानकारी देने के उद्धेश्य से पश्चिम बंगाल सरकार के सूचना और संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित किया गया यहाँ फिल्म निर्माण को छोड़कर फिल्मों से सम्बंधित सभी गतिविधियां आयोजित होती है तत्कालीन सुचना और संस्कृति विभाग के मंत्री और वर्तमान में पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री श्री बुद्धदेव भट्टाचार्जी ने नंदन के 25 वर्ष पूरे होने पर नंदन-1 में आयोजित समारोह में कहा कि जब हम लोगों ने चलचित्र की उन्नत चर्चा की भावना को लेकर एक केन्द्र बनाने का स्वप्न देखा, जिससे आने वाली पीढ़ियों को सिनेमा की गहराई से परिचित करा सकें, मैंने मृणाल सेन, तरुण मजुमदार, सौमित्र चट्टर्जी तथा अन्य लोगों के साथ सत्यजित रॉय से संपर्क किया इस प्रकार श्री रॉय नंदन फिल्म केन्द्र के निर्माण से शुरू से जुड़े इस केन्द्र की परिकल्पना और इससे संचालित होने वाली संपूर्ण गतिविधियों की रूपरेखा लाइफ टाइम अचीवमेंट ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित सर्वप्रिय चर्चित फिल्म निर्देशक सत्यजित रॉय ने ही बनायीं उन्होंने ही इस फिल्म संस्कृति केन्द्र का नाम नंदन रखा नंदन का प्रतीक चिन्ह भी श्री रॉय ने बनाया, जो आज विश्व के सिने प्रेमियों,निर्देशकों और तकनीशियनों में श्रधा और सम्मान से देखा जाता है 2 सितम्बर 1985 को इसका उदघाटन करते हुए सत्यजित रॉय ने कहा था कि इस केन्द्र में फिल्म निर्माण को छोड़कर सिनेमा के सभी पहलुओं का समायोजन होगा नंदन , जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- स्वर्ग, अपने तरह का इकलौता फिल्म केन्द्र है जो देश के साथ साथ विदेशों में भी चर्चित है यहाँ स्थित जलाशय को बचाते हुए जलाशय के ऊपर ही नंदन का निर्माण किया गया पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्य मंत्री ज्योति बसु ने अपने उदघाटन भाषण में कहा था कि फिल्म संस्कृति के विभिन्न अवयवों के उत्थान में कोलकाता फिल्म केन्द्र एक संस्था के रूप में योगदान देगा 1990 और 1994 में भारत सरकार द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों की शानदार मेजबानी करने के बाद 1995 से नंदन फिल्म केन्द्र पिछले 15 वर्षों से लगातार कोलकाता फिल्म महोत्सव का आयोजन कर रहा है कोलकाता फिल्म महोत्सव का आयोजन प्रति वर्ष 10 से 17 नवंबर को आयोजित किया जाता है यह फिल्म महोत्सव पेरिस स्थित फिल्म निर्माताओं की अंतर्राष्ट्रीय परिषद से मान्यता प्राप्त है
नंदन फिल्म केन्द्र के प्रमुख कार्य हैं – भारत और विदेशों में बनी महत्वपूर्ण फिल्मों का प्रदर्शन, नयी फ़िल्में प्रदर्शित कर सरकार के लिए राजस्व एकत्रित करना, फिल्म महोत्सव और फिल्म पुनःरावलोकन के कर्यक्रम आयोजित करना, फिल्मों से सम्बंधित प्रदर्शनियां और पुस्तक प्रकाशन, संगोष्ठियां , परिचर्चा, वार्तालाप और वार्षिक संभाषण का आयोजन, फिल्मों से सम्बंधित शिक्षा का प्रसार करना, शोध और संग्रहालय, विश्व की सिनेमा से सम्बंधित सर्वश्रेष्ठ किताबों और पत्रिकाओं का पुस्तकालय चलाना, ऋत्विक स्मृति ग्रंथागार और सत्यजित रॉय अर्काईव (जिन्हें नये भवन में स्थान्तरित किया गया है) का संचालन आदि
नंदन प्रेक्षालय में दर्शकों के लिए तीन हॉल हैं जिसमे नंदन-1 , जिसकी क्षमता 970 दर्शकों की है, देश भर में व्यावसायिक फिल्म प्रदर्शन के लिए बेहतरीन माना जाता है नंदन-2 में, जिसकी क्षमता 210 दर्शकों की है, 35 एमएम तथा 16 एमएम फिल्मों के प्रदर्शन की व्यवस्था है और नंदन-3 में, जिसकी क्षमता 110 दर्शकों की है, 35 एमएम, 16 एमएम , विडियो और डीवीडी के प्रदर्शन की व्यवस्था है जहाँ नंदन -1 का उपयोग राजस्व प्राप्ति के उद्धेश्य से किया जाता है, वहीँ नंदन-2 और नंदन-3 का उपयोग फिल्म संस्कृति के उत्थान और प्रोत्साहन के लिए किया जाता है इस उद्धेश्य के लिए नंदन-2 और नंदन-3 के भाड़े पर विशेष छूट भी दी जाति है इसके अलावा नंदन-4 है जिसका उपयोग संवाददाता सम्मेलन, प्रदर्शनियां , पुस्तक विमोचन आदि कार्यों के लिए किया जाता है
मल्टीफ्लेक्स के आज के दौर को देखते हुए कह सकते हैं की कोलकाता में इसकी शुरुआत 25 वर्ष पहले नंदन से हुई 2 सितम्बर 2010 को नंदन के 25 वर्ष पूरे होने पर पश्चिम बंगाल सरकार, सूचना और संस्कृति विभाग, नंदन के पदाधिकारी, कर्मचारी, संस्कृति कर्मियों और नंदन प्रेमियों को हार्दिक बधाई
नंदन फिल्म केन्द्र सिनेमा और इससे जुड़े सम्मानीय व्यक्तित्वों से सम्बंधित पुस्तकों का प्रकाशन भी करता है- बंगाली फिल्म डाईरेक्टरी, सिनेमा के 100 वर्ष, बांग्ला सिनेमा के 70 वर्ष, मृणाल सेन, सत्यजित रॉय पर आलोचना आदि पुस्तकों का प्रकाशन उल्लेखनीय है 1991 से नंदन बुलेटिन पत्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ जो बीच में कुछ वर्षों तक बन्द रहने के बाद 2007 से फिर शुरू किया गया नंदन, पश्चिम बंगाल फिल्म सेण्टर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीलांजन चट्टर्जी का कहना है कि इस त्रैमासिक पत्रिका को फिल्म प्रेमियों, फिल्म समीक्षकों-आलोचकों और साधारण पाठकों की ढेर सारी प्रशंसा मिली है सिनेमा से सम्बंधित पुस्तकालय और वृतचित्रों के निर्माण की कार्यशालाएं यहाँ आयोजित होती रहती है सिनेमा से सम्बंधित विषयों के प्रशिक्षण की यहाँ व्यवस्था है
श्री चट्टर्जी ने नंदन फिल्म केन्द्र की आय का ब्यौरा देते हुए बताया कि नंदन-1 और नंदन-2 से व्यावसायिक फिल्म प्रदर्शन और हॉल भाड़े से प्राप्त इस वर्ष मार्च तक की कुल आय 1,51,68,880.00 रुपये थी जिसमे से 16,98,300.00 रुपये कर के मद में सरकार को दिए गये
नंदन फिल्म केन्द्र से हिंदी में एक भी प्रकाशन नहीं होने की वजह से हिंदी भाषियों का जुडाव यहाँ अपेक्षा के अनुरूप नहीं है नंदन में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के चर्चित आयोजन हुए हैं भारतीय भाषाओँ की फिल्मों को लेकर फिल्म महोत्सव का आयोजन भी यहाँ होगा, ऐसी आशा है हिंदी अखबारों में नंदन के कार्यक्रमों के विज्ञापन नहीं आने की वजह से सिने-प्रेमियों का एक बड़ा भाग इसका लाभ उठाने से वंचित रह जाता है मेरा मानना है और यही सही है कि संस्कृति लोगों को जोड़ने का काम करती है फिल्म निर्देशक गौतम घोष कहते हैं – “ नंदन हमारी 3 पीढ़ियों से जुड़ा है यह आनंद की, गर्व की जगह है” नंदन फिल्म केन्द्र के सभापति तरुण मजुमदार ठीक ही कहते हैं कि इस राज्य में गर्व करने के जो भी स्थान है, नंदन उनमे सर्वोपरि है नंदन संस्कृतियों का नंदन-कानन बने और देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा स्त्रोत्त भी, सभी को मिलकर यह प्रयास करना होगा
Keshava Bhattar
9330919201
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