
शुभ दीपावली
केशव भट्टड़
दीपावली आ गई दीपावली माने भरपूर खुशियाँ साफ-सफाई, रंगोली-रोशनी, नये कपड़े-मिठाइयां, खील-बताशे ,पटाखे-फूलझडियाँ, दोस्तों-रिश्तेदारों से मेल-मुलाक़ात, खाना-खिलाना और सभी के लिए शुभकामनायें प्रकाश ही प्रकाश तन और मन का भरपूर सामाजिक आनंद सब मिलाकर आनंदोत्सव का दूसरा नाम दीपावली असुर शक्तियों के पराभव की घोषणा का पर्व , बुराई पर अच्छाई के जयघोष का पर्व – दीपावली दीपावली माने दीपों की लड़ियाँ सीधा सादा धरती का प्रतीक - मिट्टी का दीया, और दमकते ज्ञान का प्रतीक - उसमे जलती बाती से फैलती रोशनी कृष्णपक्ष के अँधेरे से जूझती अंतरिक्ष में फैली नक्षत्र लड़ियाँ और धरती पर फैली दीपों की लड़ियाँ चाँद के प्रकाश पुंज की अनुपस्थिति में उजाले के लिए मानव मात्र के संघर्ष का प्रतीक – दीपावली, आ गई धरती पर पसरे अज्ञान के अँधेरे पर फैलते ज्ञान के उजाले की जय का मंगलमय पर्व – दीपावली, आ गई
दीपावली- पाँच (कहीं-कहीं छः) दिनों तक मनाये जाने वाला प्रकाश पर्व – हिंदू, जैन और सिख्ख दर्शन में समान रूप से मनाया जाता है पूरे भारत के साथ विश्व के अधिकांश देशो में मनाये जाने वाले इस प्रकाश पर्व पर भारत सहित सूरीनाम, गुयाना-ट्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी, मोरिसस, मलयेशिया, नेपाल, सिंगापूर, श्रीलंका, म्यांमार में अधिकारिक छुट्टी रहती है भारत और नेपाल में यह राष्ट्रीय उत्सव से कम नहीं है अद्यात्म, दर्शन और इतिहास के आधार पर दीपावली मनाने के, पूजन के तरीके अलग हो सकते हैं लेकिन इसका दर्शन सभी मतावलंबियों में आत्म प्रकाश ही है, जिसके प्रकाशित होते ही हर तरह के अन्धकार का नाश निश्चित है
हिंदू मतानुसार असुर सम्राट रावण पर विजय के पश्चात जननायक राम आज ही के दिन अयोध्या लौटे जैन मतानुसार आज ही के दिन तीर्थंकर महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ तीर्थंकर महावीर के पट शिष्य गणधर गौतम स्वामी को आज ही के दिन केवलज्ञान की प्राप्ति हुई आचार्य भद्रबाहु रचित कल्पतरु के अनुसार अमावस्या के उदय काल से पहले तीर्थंकर महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया अगली रात काली और अँधेरी थी तब काशी और कौशल के 16 गण नरेशों, 9 मल्ल और 9 लिच्छवीयों ने अपने द्वारों पर प्रकाश सज्जा की- “दिव्य ज्ञान का प्रकाश चला गया , अब हम साधारण प्रकाश में उसको अक्षुण रखेंगे” सिख्ख मतानुसार मुग़ल सम्राट जहाँगीर की कैद से ग्वालियर के किले से 52 हिंदू नरेशों को आज़ाद करा कर गुरु हरगोबिन्द आज ही के दिन वापस अमृतसर लौटे इसदिन स्वर्ण मंदिर को दीयों से सजाया गया, वो प्रथा आज भी जारी है सिख्खों में इसलिए दीपावली को ‘बंदी-छोड़ दिवस’ भी कहते हैं गुरु ग्रंथ साहिब के लेखकार भाई मणिसिंह को लाहोर में आज ही के दिन मुग़ल प्रशाशक द्वारा फांसी दी गई, परिणाम स्वरुप खालसा स्वतंत्रता संघर्ष तेजी से फैला
दीपावली पर्व के प्रमुख दिवस
01. वसु बारस को गाय और बछड़े की पूजा की जाती है यह कहीं-कहीं प्रचलन में है
02. धन तेरस को कपड़े-गहने खरीदने की परिपाटी है सागर-मंथन से इस दिन धनवंतरी सागर से प्राप्त हुए इसे धनवंतरी त्रयोदशी भी कहते हैं
03. दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी को कृष्ण की सहायता से सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया राजस्थानी में इसे रूप चौदस और गुजराती में इसे काली चौदस कहते हैं स्नान-उबटन की विशिष्ट परंपरा का पालन इस दिन किया जाता है
04. सागर मंथन से इस दिन लक्ष्मी सागर से प्राप्त हुई पर्व के मुख्य दिन ,चौदह वर्षों के पश्चात राम वनवास से अयोध्या लौटे पूरी अयोध्या को दीपों की लड़ियों से सजाया गया हिंदू इस दिन लक्ष्मी और गणेश का पूजन करते हैं घर द्वार दीपों से सजाये जातें हैं अध्यात्मिक मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी पंचायतन ब्रह्माण्ड में प्रवेश करते हैं लक्ष्मी, विष्णु, इन्द्र, कुबेर और गजेन्द्र इस सुख-समृधि-संतुष्टि प्रदान करने वाले पंचायतन के सदस्य हैं प.बं. के स्थानीय लोगों में इस दिन काली आराधना का प्रचलन है
05. दीपावली के अगले दिन गोवेर्धन पूजा की जाती है इस दिन इन्द्र को कृष्ण ने परास्त किया और कर्मकांड के विरुद्ध कर्म सिद्धांत का प्रतिपादन किया इस दिन को बलि प्रतिपदा भी कहते हैं वामन रूप में विष्णु ने बलि विजय की और उसे पाताळ में भेज दिया मान्यता है की पाताल से बली इस दिन पृथ्वी पर आते हैं
06. इसके अगले दिन भाई दूज –भाई फोटा, भैया दूज ,भाऊबीज – भाई और बहन के स्नेह मिलन - का त्यौहार मनाया जाता है इसे यम द्वितीया भी कहते हैं मान्यता है की यम अपनी बहन यमी से इस दिन मिलते हैं मारवाड़ियों और बंगालियों में इस दिन का विशेष महत्व और मान्यता सामान रूप से है
पर्व का एक प्रमुख आकर्षण इन दिनों की जाने वाली आतिशबाजी है सावधानी रखते हुए नियम-कायदों की सीमा में आतिशबाजी करें अंधेरों के विरुद्ध दीपकों का संघर्ष हमारा संबल और प्रेरणा स्त्रोत बने इस विश्वास के साथ आनंद, उमंग और उल्लास के मंगलमय पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनायें
केशव भट्टड़
दीपावली आ गई दीपावली माने भरपूर खुशियाँ साफ-सफाई, रंगोली-रोशनी, नये कपड़े-मिठाइयां, खील-बताशे ,पटाखे-फूलझडियाँ, दोस्तों-रिश्तेदारों से मेल-मुलाक़ात, खाना-खिलाना और सभी के लिए शुभकामनायें प्रकाश ही प्रकाश तन और मन का भरपूर सामाजिक आनंद सब मिलाकर आनंदोत्सव का दूसरा नाम दीपावली असुर शक्तियों के पराभव की घोषणा का पर्व , बुराई पर अच्छाई के जयघोष का पर्व – दीपावली दीपावली माने दीपों की लड़ियाँ सीधा सादा धरती का प्रतीक - मिट्टी का दीया, और दमकते ज्ञान का प्रतीक - उसमे जलती बाती से फैलती रोशनी कृष्णपक्ष के अँधेरे से जूझती अंतरिक्ष में फैली नक्षत्र लड़ियाँ और धरती पर फैली दीपों की लड़ियाँ चाँद के प्रकाश पुंज की अनुपस्थिति में उजाले के लिए मानव मात्र के संघर्ष का प्रतीक – दीपावली, आ गई धरती पर पसरे अज्ञान के अँधेरे पर फैलते ज्ञान के उजाले की जय का मंगलमय पर्व – दीपावली, आ गई
दीपावली- पाँच (कहीं-कहीं छः) दिनों तक मनाये जाने वाला प्रकाश पर्व – हिंदू, जैन और सिख्ख दर्शन में समान रूप से मनाया जाता है पूरे भारत के साथ विश्व के अधिकांश देशो में मनाये जाने वाले इस प्रकाश पर्व पर भारत सहित सूरीनाम, गुयाना-ट्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी, मोरिसस, मलयेशिया, नेपाल, सिंगापूर, श्रीलंका, म्यांमार में अधिकारिक छुट्टी रहती है भारत और नेपाल में यह राष्ट्रीय उत्सव से कम नहीं है अद्यात्म, दर्शन और इतिहास के आधार पर दीपावली मनाने के, पूजन के तरीके अलग हो सकते हैं लेकिन इसका दर्शन सभी मतावलंबियों में आत्म प्रकाश ही है, जिसके प्रकाशित होते ही हर तरह के अन्धकार का नाश निश्चित है
हिंदू मतानुसार असुर सम्राट रावण पर विजय के पश्चात जननायक राम आज ही के दिन अयोध्या लौटे जैन मतानुसार आज ही के दिन तीर्थंकर महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ तीर्थंकर महावीर के पट शिष्य गणधर गौतम स्वामी को आज ही के दिन केवलज्ञान की प्राप्ति हुई आचार्य भद्रबाहु रचित कल्पतरु के अनुसार अमावस्या के उदय काल से पहले तीर्थंकर महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया अगली रात काली और अँधेरी थी तब काशी और कौशल के 16 गण नरेशों, 9 मल्ल और 9 लिच्छवीयों ने अपने द्वारों पर प्रकाश सज्जा की- “दिव्य ज्ञान का प्रकाश चला गया , अब हम साधारण प्रकाश में उसको अक्षुण रखेंगे” सिख्ख मतानुसार मुग़ल सम्राट जहाँगीर की कैद से ग्वालियर के किले से 52 हिंदू नरेशों को आज़ाद करा कर गुरु हरगोबिन्द आज ही के दिन वापस अमृतसर लौटे इसदिन स्वर्ण मंदिर को दीयों से सजाया गया, वो प्रथा आज भी जारी है सिख्खों में इसलिए दीपावली को ‘बंदी-छोड़ दिवस’ भी कहते हैं गुरु ग्रंथ साहिब के लेखकार भाई मणिसिंह को लाहोर में आज ही के दिन मुग़ल प्रशाशक द्वारा फांसी दी गई, परिणाम स्वरुप खालसा स्वतंत्रता संघर्ष तेजी से फैला
दीपावली पर्व के प्रमुख दिवस
01. वसु बारस को गाय और बछड़े की पूजा की जाती है यह कहीं-कहीं प्रचलन में है
02. धन तेरस को कपड़े-गहने खरीदने की परिपाटी है सागर-मंथन से इस दिन धनवंतरी सागर से प्राप्त हुए इसे धनवंतरी त्रयोदशी भी कहते हैं
03. दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी को कृष्ण की सहायता से सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया राजस्थानी में इसे रूप चौदस और गुजराती में इसे काली चौदस कहते हैं स्नान-उबटन की विशिष्ट परंपरा का पालन इस दिन किया जाता है
04. सागर मंथन से इस दिन लक्ष्मी सागर से प्राप्त हुई पर्व के मुख्य दिन ,चौदह वर्षों के पश्चात राम वनवास से अयोध्या लौटे पूरी अयोध्या को दीपों की लड़ियों से सजाया गया हिंदू इस दिन लक्ष्मी और गणेश का पूजन करते हैं घर द्वार दीपों से सजाये जातें हैं अध्यात्मिक मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी पंचायतन ब्रह्माण्ड में प्रवेश करते हैं लक्ष्मी, विष्णु, इन्द्र, कुबेर और गजेन्द्र इस सुख-समृधि-संतुष्टि प्रदान करने वाले पंचायतन के सदस्य हैं प.बं. के स्थानीय लोगों में इस दिन काली आराधना का प्रचलन है
05. दीपावली के अगले दिन गोवेर्धन पूजा की जाती है इस दिन इन्द्र को कृष्ण ने परास्त किया और कर्मकांड के विरुद्ध कर्म सिद्धांत का प्रतिपादन किया इस दिन को बलि प्रतिपदा भी कहते हैं वामन रूप में विष्णु ने बलि विजय की और उसे पाताळ में भेज दिया मान्यता है की पाताल से बली इस दिन पृथ्वी पर आते हैं
06. इसके अगले दिन भाई दूज –भाई फोटा, भैया दूज ,भाऊबीज – भाई और बहन के स्नेह मिलन - का त्यौहार मनाया जाता है इसे यम द्वितीया भी कहते हैं मान्यता है की यम अपनी बहन यमी से इस दिन मिलते हैं मारवाड़ियों और बंगालियों में इस दिन का विशेष महत्व और मान्यता सामान रूप से है
पर्व का एक प्रमुख आकर्षण इन दिनों की जाने वाली आतिशबाजी है सावधानी रखते हुए नियम-कायदों की सीमा में आतिशबाजी करें अंधेरों के विरुद्ध दीपकों का संघर्ष हमारा संबल और प्रेरणा स्त्रोत बने इस विश्वास के साथ आनंद, उमंग और उल्लास के मंगलमय पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनायें